करि चिक्कार घोर अति धावा बदनौ पसारि।
गन सिद्ध सुर त्रासित हा हा पुकारि।। इसमें कौनसा रस हैं??
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अद्भुद रस ।।।।।।।।।।।।
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वह बड़े जोर से चिग्घाड़ करके मुँह फैलाकर दौड़ा। आकाश में सिद्ध और देवता डरकर हा! हा! हा! इस प्रकार पुकारने लगे ॥70॥
Explanation:
करि चिक्कार घोर अति धावा बदुन पसारि। गगन सिद्ध सूत त्रसित हा हा हेति पुकारि। उपर्युक्त पंक्तियों में भयानक रस है, भयानक रस का स्थायी भाव 'भय' है।
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