‘कर चले हम फिदा’ गीत में “राम भी तुम तुम्ही लक्ष्मण” के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते है?
अथवा
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि को परमात्मा से क्या-क्या अपेक्षाए नहीं है?
Answers
गीतकार ने प्रजातंत्र प्रणाली को सर्वोपरि ३बताते हुए जनता के द्वारा, जनता के लिए व जनता से ही राजा (शासक) की चुनाव प्रणाली को महत्व दिया है| जहां आम जनता अपनी इच्छा से अपनों के बीच में से ही शासक चुनतें हैं| जिस से आम जनता की जिम्मेदारी बढ जाती है, वहां राम बनकर हमें ही शासन करना है और भारत रूपी सीता की रक्षा की जिम्मेदारी हर नागरिक की है| कवि ने प्रत्येक नागरिक को उसकी जिम्मेदारी व देशभक्ति का संदेश दिया है|
अथवा
कवि को परमात्मा से यह अपेक्षा नहीं कि ईश्वर उसका भार हल्का करें| वह स्वयं दु:खों का निदान ढुंढना चाहता है, वह पौरूष बल को डगमगाने नही देना चाहता| वह नही चाहता कि ईश्वर हर मार्ग में हर विपत्ति को सरल बना दें| विपत्ति में भी उसमें इतनी शक्ति भर दे कि सभी विपत्तियों का सामना कर सकें| यदि जीवन संग्राम में धोखा उठाना पडे तो भी वह हार न माने|
Answer :
- कवि संगतकार के माध्यम से किसी भी कार्य या कला में लगे हर उस सहायक की ओर संकेत कर रहा है जो अपनी प्रसिद्धि की परवाह किये बिना मुख्य कलाकार की लगातार सहायता करता रहता है।
- ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार दीवार की नींव की अपनी कोई पहचान नहीं होती परन्तु दीवार मजबूती से खड़ी रहे, इसके लिए वह अपना अस्तित्व दांव पर लगा देती है।
- हम और आप उस एक खिलाड़ी या अभिनेता के बारे में जानते हैं जो सफलता के शिखर पर होता है। लेकिन हम उन लोगों के बारे में नहीं जानते जो उस खिलाड़ी या अभिनेता की सफलता के लिए नेपथ्य में रहकर अथक परिश्रम करता है।
- कपिल शर्मा तो आपको याद ही होंगे, लेकिन उन्हें वो शोहरत दिलाने में उनके सहायक कलाकार सुनील ग्रोवर (गुत्थी) का भी बहुत योगदान रहा है। कवि का इशारा इन्ही सहायक लोगों की तरफ है।
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