‘कर चले हम फिदा...’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
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‘कर चले हम फिदा...’ कविता का प्रतिपाद्य
"कर चले हम फिदा" फिल्म हकीकत का एक प्रसिद्ध गीत है | इस गीत में सैनिकों के बलिदान की गौरव गाथा है |
एक देश के लिए बलिदान देने वाला सैनिक क्या सोचकर बलिदान देता है और वह अपने देशवासियों से क्या अपेक्षा रखता है यह इस गीत में कवि ने बताया है |
सैनिक देशवासियों से कहता है साथियों हम तो अपने वतन की के लिए जीवन बलिदान कर रहे हैं और अब इस देश की रक्षा का दायित्व तुम्हारे हाथों में है |
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जो बीत गई सो बात गई। जीवन में एक सितारा था, माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया। अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टुटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर, कब अंबर शोक मनाता है? जो बीत गई सो बात गई। जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया मधुबन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ मुरझाई कितनी वल्लरियाँ, जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं, पर बोलो सूखे फूलों पर, कब मधुबन शोर मचाता है? जो बीत गई सो बात गई।
क) ‘जो बीत गई सो बात गई’ से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए और क्यों?
ग) ‘सूखे फूल’ और ‘मधुबन’ के प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है?
ङ) आपके विचार से ‘जीवन में एक सितारा’ किसे माना होगा?
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