कर चले हम फिदा कविता और कारतूस एकांकी के भाव की तुलना कीजिए विश्लेषण करते हुए अपने मत के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिए
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‘कर चले हम फिदा’ और ‘कारतूस’ पाठ का मूल भाव एक ही है, और यह मूल भाव है, देश भक्ति।
दोनों पाठ में देशभक्ति की भावना को कवि और लेखक ने अपने-अपने शब्दों के माध्यम से प्रकट किया है। जहाँ ‘कर चले हम फिदा’ कविता में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले सैनिक अपने साथी सैनिकों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि मैंने तो अपने देश की रक्षा मैं अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अब तुम्हें भी ऐसी कोई स्थिति आने पर संकोच नहीं करना चाहिए और देश की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। तब ही हम दुश्मन पर विजय पा सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ ‘कारतूस’ पाठ में ‘वजीर अली’ अपने राज्य और अपने देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए दर-दर भटक रहा है। वह अंग्रेजों द्वारा कब्जा किए गए अपने अवध राज्य को वापस पाना चाहता है और वह अपने देश भारत से अंग्रेजों को निकाल देना चाहता है। उस में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी है और वह अपने देश के स्वाभिमान और सम्मान के लिए अनेक कष्ट सहते हुए अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा है रहा है, इस तरह दोनों पाठ का मूल भाव एक ही है, और वह देश भक्ति।
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