Hindi, asked by mssanju809714, 19 days ago

"कर्म ही पूजा है।" विषय पर अपने विचार लिखिए।​

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Answered by oODivineGirlOo
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Answer:

गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने कर्म की महानता का बखान किया है। वास्तविकता यही है कि यदि हर व्यक्तिअपने-अपने कर्म को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करता है, तो वह किसी भी पूजा से बढ़कर है। जैसे शिक्षक, किसान, चिकित्सक, कलाकार आदि अपनेकर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करते हैं, तो उनके द्वारा किया गया कर्म ही पूजा कहलाता है।

Answered by Evyaan7
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Answer:

यह कहावत 'कर्म ही पूजा है' हमें अपने लक्ष्य से बिना विचलित हुए आज्ञाकारी और ईमानदारी से काम करना सिखाती है। यह हमारे जीवन के सही मूल्य को इंगित करती है। जो हम करते हैं, हमारे कर्मों से ईश्वर अधिक प्रसन्न होते हैं, बजाय हमारी पूजा से। वास्तव में, वह खुशी-खुशी पूजा को नजरअंदाज कर सकते है यदि हमारे कर्म महान हों।

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