कर्म ही धर्म है पर निबंध 200-250 शब्दों में
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आध्यात्मिकता का अर्थ क्या है? आध्यात्मिकता का अर्थ बहुत सरल है। आध्यात्मिकता सादगी है। तुम जितना अधिक आध्यात्मिक होगे, उतना अधिक सादगी से रहोगे, तुम्हारा जीवन उतना ही अधिक सादा होगा।
कार्य हमारी चेतना के विकास के लिए एक अन्य प्रक्रिया है। हर दिन सुबह से शाम तक तुम व्यस्त रहते हो, तुम कुछ न कुछ कार्य करते हो। कार्य करना अच्छी बात है, इससे तुम्हारा जीवन सुंदर बन सकता है - बशर्ते कि तुम समझ सको कि इसे कैसे करना है। अगर तुम जान जाओ कि काम कैसे करना है तो यह कार्य तुम्हारी चेतना के विकास की एक सुंदर प्रक्रिया होगी।
तुम इस रहस्य को अच्छी तरह समझ लो कि परमात्मा तक पहुंचने का एक रास्ता है- 'कर्म योग'। अर्थात् कार्य के द्वारा योग, मन, शरीर, प्राण और चैत्य की क्रियाओं से। काम करने की भी एक तकनीक है। तकनीक बिलकुल सही शब्द है - अगर तुम उसको ठीक से समझ सको। केवल कर्म के द्वारा ही तुम्हारा जीवन आश्चर्यजनक रूप से सुंदर बन जाएगा। याद रखो और अपने को समर्पित कर दो।
हमेशा अपनी पूरी तन्मयता, एकाग्रता से काम करो, उसमें अपना मन, तन और हृदय लगा दो। फल को महत्व मत दो। यही फॉर्मूला है : स्मरण करो, समर्पण करो और पूरी निष्ठा से कर्म करो। तुम्हारे हाथ में केवल यह एक चीज है, फल, परिणाम तुम्हारे हाथ में नहीं है। हर रोज, सुबह से शाम तक, जब तक तुम काम कर रहे हो उस दिव्य को याद रखो और उसे ही अर्पित करो।
अपने पूरे मन से ऐसा करो। श्री मां को याद करो और उन्हें कर्म अर्पित करो और इस तरह तुम्हारा काम ही तुम्हारी चेतना के विकास में सहायक बनेगा। और जब रात को तुम सोने जाओगे तो तुम्हें कोई समस्या नहीं होगी। हर काम चाहे वह कोई भी हो, अर्पण कर दो। बस इतना ही करना है। परमात्मा की दिव्य शक्ति सर्वत्र व्याप्त है।
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कार्य हमारी चेतना के विकास के लिए एक अन्य प्रक्रिया है। हर दिन सुबह से शाम तक तुम व्यस्त रहते हो, तुम कुछ न कुछ कार्य करते हो। कार्य करना अच्छी बात है, इससे तुम्हारा जीवन सुंदर बन सकता है - बशर्ते कि तुम समझ सको कि इसे कैसे करना है। अगर तुम जान जाओ कि काम कैसे करना है तो यह कार्य तुम्हारी चेतना के विकास की एक सुंदर प्रक्रिया होगी।
तुम इस रहस्य को अच्छी तरह समझ लो कि परमात्मा तक पहुंचने का एक रास्ता है- 'कर्म योग'। अर्थात् कार्य के द्वारा योग, मन, शरीर, प्राण और चैत्य की क्रियाओं से। काम करने की भी एक तकनीक है। तकनीक बिलकुल सही शब्द है - अगर तुम उसको ठीक से समझ सको। केवल कर्म के द्वारा ही तुम्हारा जीवन आश्चर्यजनक रूप से सुंदर बन जाएगा। याद रखो और अपने को समर्पित कर दो।
हमेशा अपनी पूरी तन्मयता, एकाग्रता से काम करो, उसमें अपना मन, तन और हृदय लगा दो। फल को महत्व मत दो। यही फॉर्मूला है : स्मरण करो, समर्पण करो और पूरी निष्ठा से कर्म करो। तुम्हारे हाथ में केवल यह एक चीज है, फल, परिणाम तुम्हारे हाथ में नहीं है। हर रोज, सुबह से शाम तक, जब तक तुम काम कर रहे हो उस दिव्य को याद रखो और उसे ही अर्पित करो।
अपने पूरे मन से ऐसा करो। श्री मां को याद करो और उन्हें कर्म अर्पित करो और इस तरह तुम्हारा काम ही तुम्हारी चेतना के विकास में सहायक बनेगा। और जब रात को तुम सोने जाओगे तो तुम्हें कोई समस्या नहीं होगी। हर काम चाहे वह कोई भी हो, अर्पण कर दो। बस इतना ही करना है। परमात्मा की दिव्य शक्ति सर्वत्र व्याप्त है।
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SaadHelper:
does your cancer go away sinali
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