Hindi, asked by Aasim135790, 10 months ago

कर्म हाय पूजा है पर एक निबंध लिखें​

Answers

Answered by robinhood644
1

Answer:

मनुष्य भगवान के द्वारा बनाया गया सबसे श्रेष्ठ प्राणी है लेकिन कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ तभी होता है जब वह अच्छे कर्म करता है। कर्म करने से ही मनुष्य की गति होती है। कर्म को बिना मनुष्य इस पृथ्वी पर कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है। मनुष्य का फर्ज है कर्म करना और उसके कर्मों का फल ही उसे अच्छे या बुरे परिणाम के रूप में मिलता है। मनुष्य के लिए कर्म ही उसकी पूजा है क्योंकि वह अपने कर्मों से ही प्रभू के द्वारा जाना जाता है। मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे वैसा बी परिणाम मिलता है।

कर्म का अर्थ होता है किसी भी कार्य को लग्न से करना लेकिन यदि उसी कार्य में थोड़ी सी श्रद्धा भी डाल दी जाए तो वह कर्म पूजा बन जाती है और उसमें हमें सफलता अवश्य ही मिलती है। हर वह काम जिसे हम पूरी लग्न और श्रदिधा के साथ करते हैं हमारे लिए पूजा ही है। किसी भी कार्य को करने का सबसे बेहतरीन तरीका है उसका आनंद लिया जाए, उसके लिए हर संभव प्रयास किया जाए, अपने कर्म को ही पूजा समझा जाए और यदि वहीं कर्म हम पर बोझ बन जाता है तो हमारी पूजा यानि कि हमारा कर्म उसकी पवित्रता को खो देता है जिससे उसकी गुणवत्ता भी कम हो जाती है।

हमें अपने कर्मों को पूजा के समान समझना चाहिए और इसकी पवित्रता को बनाए रखना चाहिए। कर्म मनुष्य का सबसे महंगा गहना होते हैं और प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्वय है कि वह इन्हें चमका कर रखे और इन्हें नेकी के लिए प्रयोग करे। हमारे द्वारा नित्य किए गए कर्मों से ही पूजा होती है जिसमें लग्न का होना अत्यंत आवश्यक है। हमें अपने प्रत्येक कार्य को सच्चे भाव से और कढ़ी मेहनत के साथ करना चाहिए। इस जीवन में कर्म के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।

Explanation:

Answered by AnitaShyara
0

उत्तर⤵

मनुष्य तो भगवान की पूजा करता है यह तो ठीक है इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन क्या कुछ मनुष्य यह जानते हैं कि "कर्म ही पूजा है" अब आप सोचेंगे कि कर्म ही पूजा कैसे हुआ? तो ईश्वर ने स्वयं कहा है कि अगर आप कर्म अच्छे करते हो तो आपको भगवान की पूजा करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अच्छे कर्म से बढ़कर कोई बड़ा पूजा नहीं होता हैI इस पूरे धरती पर सबसे बड़ा पूजा है अच्छे कर्म करना अगर आप अच्छे कर्म करते हो तो सबसे बड़ी पूजा करते होI इसलिए भगवान की पूजा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जिस समय आप अच्छे कर्म करते हो आपकी पूजा उसी समय होती है और जो लोग अच्छे कर्म नहीं करते हैं बुरे कर्म करते हैं अब वह पूजा भी करते हैं भगवान की पूजा भी करते हैंI तो उसका कोई अर्थ नहीं हुआ उन्हें फल नहीं मिलेगा उन्हें फल मिलेगा बुरे फल भी बुरा मिलेगाI वह दूसरों के साथ गलत करेंगे तो उनके साथ गलत होगाI अब आप अच्छे कर्म करो और पूजा ना करो तो यह भी मंजूर है क्योंकि पूजा तो आप उसी वक्त करते हो जब आप अच्छे कर्म करते हो और अगर आप अच्छे कर्म नहीं करते और लेकिन भगवान की पूजा करते हो तो आपकी पूजा का कोई अर्थ नहीं आपकी पूजा बेकार है अच्छे कर्म करो और अच्छे फल पाऊंI

Similar questions