कर्म करना किसके समान होता है?
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बृहदअरण्यक उपनिषद कहता है, "व्यक्ति के कर्मों के अनुसार और उसके विश्वास के अनुरूप वह वैसा ही होगा; जो व्यक्ति सराहनीय कर्म करेगा वह सराहनीय होगा और जो व्यक्ति बुरे कर्म करेगा वह पापी होगा. वह शुद्ध कर्मों द्वारा शुद्ध और बुरे कर्मों द्वारा बुरा बनता है. और यहां वे कहते हैं कि व्यक्ति इच्छाओं से बना होता है.
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बृहदअरण्यक उपनिषद कहता है, "व्यक्ति के कर्मों के अनुसार और उसके विश्वास के अनुरूप वह वैसा ही होगा; जो व्यक्ति सराहनीय कर्म करेगा वह सराहनीय होगा और जो व्यक्ति बुरे कर्म करेगा वह पापी होगा. वह शुद्ध कर्मों द्वारा शुद्ध और बुरे कर्मों द्वारा बुरा बनता है. और यहां वे कहते हैं कि व्यक्ति इच्छाओं से बना होता है.
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