कर्म और संप्रदान में क्या अंतर है बताइए
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इन दोनों कारक में को विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है।
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कर्म कारक :- क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह कर्म कारक कहलाता है। इसका विभक्ति चिह्न'को' है। यह चिह्न बहुत से स्थानों पर नहीं लगता है।
उदाहरण -(i) सीता ने गीता को बुलाया।
सम्प्रदान कारक :- सम्प्रदान का अर्थ है 'देना' अर्थात् कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है अथवा जिसे कुछ देता है, उसे व्यक्त करने वाले रुप को सम्प्रदान कारक कहते हैं। इसका विभक्ति चिह्न 'के लिए', 'को' है;
उदाहरण -
(i) तुम रमेश को पैसे दो।
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