Hindi, asked by pushkarkumaroffical, 1 month ago

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा । जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥ सकल पदारथ हैं जग मांही। कर्महीन नर पावत नाहीं ॥ तुलसीदास​

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Answered by shishir303
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गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित इस चौपाई का भावार्थ इस प्रकार है...

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।

जो जस करहि सो तस फल चाखा।।

सकल पदारथ हैं जग मांही।

कर्महीन नर पावत नाहीं।।

भावार्थ ⦂ तुलसीदास जी कहते हैं कि यह विश्व, यह जगत कर्म प्रधान है। जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। मनुष्य का जीवन उसके कर्मों से ही निर्धारित होता है। यूँ तो इस जगत ने अनेकों पदार्थ हैं और इस संसार में किसी पदार्थ की कोई कमी नही है, कर्महीन मनुष्य के लिए कुछ भी उपलब्ध नही है। इस संसार में कुछ भी पाने के लिए पहले उद्यम रूपी कर्म करना पड़ेगा तभी कुछ प्राप्त हो सकता है।

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