कर्म वाच्य किसे कहते हैं ?कर्म वाच्य में बदलते समय क्या-क्या बदलाव करना चाहिए ?
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कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है।
अन्य उदाहरण –
मोहन के द्वारा लेख लिखा जाता है।
हलवाई द्वारा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
चित्रकार द्वारा चित्र बनाया जाता है।
रूपाली द्वारा कढ़ाई की जाती है।
कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है।
कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया ‘जा’ का रूप लगाया जाता है,
इस वाच्य में कर्ता के बाद से या के द्वारा का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई। (कर्ता + द्वारा)
नौकर से गिलास टूट गया। (कर्ता + से)
कभी-कभी कर्ता का लोप रहता है; जैसे –
पेड़ लगा दिए गए हैं। पत्र भेज दिया गया है।
कर्मवाच्य में असमर्थता सूचक वाक्यों में ‘के द्वारा’ के स्थान पर ‘से’ का प्रयोग किया जाता है। ऐसा केवल नकारात्मक वाक्यों में किया जाता है; जैसे –
मुझसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती। मज़दूर से यह भारी पत्थर नहीं उठाया गया।
कर्मवाच्य का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर भी किया जाता है –
(i) कार्यालयी या कानूनी प्रयोग में –
हेलमेट न पहनने वालों को दंडित किया जाएगा।
चालान घर भिजवा दिया जाएगा।
(ii) अशक्तता दर्शाने के लिए; जैसे –
अब दवा भी नहीं पी जाती।
अब तो रोटी भी नहीं चबाई जाती।
(iii) जब सरकार या सभा स्वयं कर्ता हो; जैसे –
प्रत्येक घायल को पचास हजार रुपये दिए जाएँगे।
दालों के निर्यात का फ़ैसला कर लिया गया है।
(iv) जब कर्ता ज्ञात न हो; जैसे –
भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पत्र भेज दिया गया है।
(v) अधिकार या घमंड का भाव दर्शाने के लिए; जैसे
ऐसा खाना हमसे नहीं खाया जाता।
नौकर को बुलाया जाए।
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