Hindi, asked by shashanksoni2630, 2 months ago

"कर्मक्षेत्र के चक्रव्यूह में पड़कर जिस प्रकार सुखी होना प्रयत्न-साध्य होता है, उसी प्रकार निर्भय रहना
भी।" इस कथन की विवेचना कीजिए।​

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Answered by tanishanagar977
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कर्मक्षेत्र के चक्रव्यूह में जैसे सुखी होना प्रयत्न साध्य है वैसे ही निर्भय रहना भी । इस आवश्यकता से हम बच नहीं सकते। से यदि कोई दूसरा आकर कहे कि "कल अमुक-अमुक तुम्हारे हाथ-पैर तोड़ देंगे" तो वह तुरंत त्योरी बदल कर कहेगा कि "कौन हैं हाथ-पैर तोड़ने वाले ? देख लूँगा।"

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