"कर्मक्षेत्र के चक्रव्यूह में पड़कर जिस प्रकार सुखी होना प्रयत्न-साध्य होता है, उसी प्रकार निर्भय रहना
भी।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
Answers
Answered by
2
कर्मक्षेत्र के चक्रव्यूह में जैसे सुखी होना प्रयत्न साध्य है वैसे ही निर्भय रहना भी । इस आवश्यकता से हम बच नहीं सकते। से यदि कोई दूसरा आकर कहे कि "कल अमुक-अमुक तुम्हारे हाथ-पैर तोड़ देंगे" तो वह तुरंत त्योरी बदल कर कहेगा कि "कौन हैं हाथ-पैर तोड़ने वाले ? देख लूँगा।"
Similar questions
India Languages,
1 month ago
Computer Science,
1 month ago
Math,
1 month ago
English,
2 months ago
Math,
2 months ago
History,
9 months ago
Math,
9 months ago