कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
भावार्थ : तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू कर्मों के फल हेतु मत हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो ll
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keep stop telling gf and bf
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ok.....iiiiiji
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