कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु
कदाचन।" ये श्लोक किस ने किस को
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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकमज़्णि॥ इस श्लोक का अर्थ है: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो।
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shri krishna na arjun say in the battle between korwa and pandwa
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