कर्मधारे , द्विगु और बहुबिह समाज की परिभाषा लिखिए और उदाहरण ?
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▪ बहुव्रीहि समास :-
जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
जैसे :
• दशानन - दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
• नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव
▪ कर्मधारय समास
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है।
जैसे -
•चंद्रमुख- चंद्र जैसा मुख
•कमलनयन- कमल के समान नयन
▪द्विगु समास
जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है।
जैसे -
•नवग्रह- नौ ग्रहों का समूह
• त्रिलोक तीन लोकों का समाहार
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