कर्मधारय व बहुव्रीहि समास
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1. कर्मधारय समास - इसमें समस्त पद समान रूप से प्रधान होता है इनके लिंग वचन भी समान होते हैं इस समाज में पहला पद विशेषण होता है तथा दूसरा पद विशेष्य से होता है ग्रह करने पर कोई नया शब्द नहीं बनता
उदाहरण - चंद्रमुख - चंद्रमा के समान मुख वाला
2. बहुव्रीहि समास - समास में कोई भी पद प्रधान ना होकर अन्य पद प्रधान होता है विग्रह करने पर नया शब्द निकलता है पहला पद विशेषण नहीं होता है विग्रह करने पर समूह का बोध भी नहीं होता है
उदाहरण - गजानन - भगवान गणेश
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