कर्मवीर के लिए सुख फल प्राप्ति तक रुका नहीं रहता बल्कि उसी समय से थोड़ा-थोड़ा करके मिलने लगता है (वाक्य का भेद लिखिए)
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कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम कर्मण्य है। धर्म और उदारता वेळ उच्च कर्मों वेळ विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फल स्वरूप लगते हैं। ... कर्मवीर वेळ लिए सुख फलप्राप्ति तक रुका नहीं रहता बल्कि उसी समय से थोड़ा-थोड़ा करवेळ मिलने लगता है, जबसे वह कर्म की ओर हाथ बढ़ाता है।
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