कर्मवीर किसकी बात सुनते और मानते
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इस कविता के लेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' हैं। प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कर्मवीर अर्थात कर्मठ लोगों की प्रशंसा करते हुए उनके गुणों को बताया है। व्याख्यो – कवि कहता है कि जो कर्मठ लोग होते हैं वे किसी भी बाधा से घबराते नहीं हैं। वे भाग्य के भरोसे बैठकर दुख नहीं भोगते और पछताते भी नहीं हैं।
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কর্ম্বীর আপনে পিতাজি কি বাট শুনতে থে
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