करोना महामारी के कारण उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या पर दो
मित्रों की बातचीत का संवाद लेवन कीजिए
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करोना महामारी के कारण उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या पर दो
मित्रों की बातचीत का संवाद लेवन कीजिएमाल्स, रेस्तरां, बार, होटल सब बंद हैं, विमान सेवाओं और अन्य आवाजही के साधनों पर रोक लगी हुई है. फ़ैक्टरियां, कारखाने सभी ठप पड़े हैं.
ऐसे में संस्थान लगातार लोगों की छंटनी कर रहे हैं और हर कोई इसी डर के साये में जी रहा है कि न जाने कब उसकी नौकरी चली जाए.
इसके अलावा स्वरोजगार में लगे लोग, छोटे-मोटे काम धंधे करके परिवार चलाने वाले लोग सभी घर में बैठे हैं और उनकी आमदनी का कोई स्रोत नहीं है.
बॉस्टन कॉलेज में काउंसिलिंग मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर और 'द इंपोर्टेन्स ऑफ वर्क इन अन एज ऑफ अनसर्टेनिटी : द इरोडिंग वर्क एक्सपिरियन्स इन अमेरिका' क़िताब के लेखक डेविड ब्लूस्टेन कहते हैं, "बेरोज़गारी की वैश्विक महामारी आने वाली है. मैं इसे संकट के भीतर का संकट कहता हूँ."कार
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जिन लोगों की नौकरियाँ अचानक चली गयी हैं या लॉकडाउन के कारण रोज़गार अचानक बंद हो गया है, उन्हें आर्थिक परेशानी के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है.