करोना वार्रस के दौरान करोना र्ोद्धाओीं के त्याग, समपयितथा साहस को प प ट के माध्यम से ठदखाए |ठवशेष : 6-8स्लाइड्स का प्रर्ोग
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उत्तरी इटली के मोलिनेत्ते अस्पताल का आपातकालीन विभाग उत्तरी इटली के मोलिनेत्ते अस्पताल का आपातकालीन विभाग (AFP or licensors)
कलीसिया
कोरोना वायरस से लड़ने में धर्मबहनें पहली पंक्ति पर
संत कमिल्लुस की पुत्रियों के धर्मसमाज की धर्मबहनें कोरोनो वायरस आपातकाल का सामना साहस के साथ कर रही हैं। वे अपने जीवन को खतरे में डाल कर बीमारों की सेवा में लगी हैं।
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
इटली, मंगलवार, 23 मार्च 20 (रेई) : संत कमिल्लुस की पुत्रियों के धर्मसमाज की धर्मबहनें कोरोनो वायरस आपातकाल का सामना साहस के साथ कर रही हैं क्योंकि वे बीमार लोगों की सेवा करते हुए कई बार अपने जीवन को खतरे में डाल देती हैं।
कई लोगों की नजरों से छिपी, ये दीन धर्मबहनें इन दिनों कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही हैं। चाहे वे नर्स हों या एकांत मठवासी, गरीबों की मदद करती हों या परिवारों का साथ देती हों, उनके दो शक्तिशाली हथियार हैं प्रार्थना और स्नेह।
संत कमिल्लुस की धर्मबहनें जिनका कारिज्म है बीमार एवं बुजूर्गों की सेवा करना, वे महामारी शुरू होने के समय से ही डटकर अपनी सेवा दे रही हैं।
इटली में कमिल्लीयन्स धर्मबहनों के पाँच अस्पताल हैं जो रोम, त्रेंतो, त्रेभिजो, ब्रेशा और क्रेमोना में स्थित हैं। उत्तरी इटली में स्थित त्रेभिजो, ब्रेशा और क्रेमोना वे स्थल हैं जहाँ कोरोना वायरस का प्रभाव सबसे अधिक है।
दूसरों के लिए जीवन अर्पित करने हेतु तैयार
त्रेभिजो स्थित संत कमिल्लो अस्पताल की निदेशिका एवं धर्मसमाज की महासचिव सिस्टर लेन्सी एझुपारा ने वाटिकन रेडियो से कहा, “हमारे सभी संस्थाओं में नर्स धर्मबहनें निःस्वार्थ रूप से अपना जीवन जोखिम में डाल रही हैं किन्तु धर्मबहनें भयभीत नहीं हैं। हम संत कमिल्लुस की धर्मबहनें तीन सुसमाचारी सलाहों, शुद्धता, निर्धनता एवं आज्ञापालन के अलावा चौथा व्रत लेती हैं, वह है, बीमारों की सेवा करना चाहे इसके लिए जान ही गवाँना क्यों न पड़े।”