Hindi, asked by vaibhavdaswani, 1 year ago

‘करुण' अथवा 'हास्य रस की सोदाहरण परिभाषा
लिखिए।​

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Answered by Raghuroxx
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Answer:

Karun Ras (करुण रस)

इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं यधपि वियोग श्रंगार रस में भी दुःख का अनुभव होता है लेकिन वहाँ पर दूर जाने वाले से पुनः मिलन कि आशा बंधी रहती है

अर्थात् जहाँ पर पुनः मिलने कि आशा समाप्त हो जाती है करुण रस कहलाता है इसमें निःश्वास, छाती पीटना, रोना, भूमि पर गिरना आदि का भाव व्यक्त होता है

या किसी प्रिय व्यक्ति के चिर विरह या मरण से जो शोक उत्पन्न होता है उसे करुण रस कहते है।

उदाहरण:-

हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक

गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

हुआ न यह भी भाग्य अभागा

किस पर विकल गर्व यह जागा

रहे स्मरण ही आते

सखि वे मुझसे कहकर जाते

अभी तो मुकुट बंधा था माथ

हुए कल ही हल्दी के हाथ

खुले भी न थे लाज के बोल

खिले थे चुम्बन शून्य कपोल

हाय रुक गया यहीं संसार

बना सिंदूर अनल अंगार

वातहत लतिका वह सुकुमार

पड़ी है छिन्नाधार!

धोखा न दो भैया मुझे, इस भांति आकर के यहाँ

मझधार में मुझको बहाकर तात जाते हो कहाँ

सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ

सुग्रीव बोले साथ में सब (जायेंगे) जाएँगे वानर वहाँ

दुःख ही जीवन की कथा रही

क्या कहूँ, आज जो नहीं कहीं

रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के

ग्लानि, त्रास, वेदना - विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके

Shringar Ras (श्रंगार रस)

इसका स्थाई भाव रति होता है नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रंगार रस कहलाता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है

उदाहरण:-

दरद कि मारी वन-वन डोलू वैध मिला नाहि कोई

मीरा के प्रभु पीर मिटै, जब वैध संवलिया होई

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई

बसों मेरे नैनन में नन्दलाल

मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल

अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा

इसी बावले से मिलने को डाल रही है हूँ मैँ फेरा

कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात

भरे भौन में करत है, नैननु ही सौ बात।।।

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