Hindi, asked by kv27102009, 2 days ago

कर्ण कि अच्छी चिज़ओ के बरे मैन बतैये

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Answered by rohankumaryadavi35
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कर्ण (साहित्य-काल) महाभारत (महाकाव्य) के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण का जीवन अंतत विचार जनक है। कर्ण महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारियों में से एक थे। कर्ण छ: पांडवों में सबसे बड़े भाई थे । भगवान परशुराम ने स्वयं कर्ण की श्रेष्ठता को स्वीकार किया था । कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थीं और कर्ण और उनके भाइयों के धर्मपिता महाराज पांडु थे। कर्ण के वास्तविक पिता भगवान सूर्य थे। कर्ण का जन्म पाण्डु और कुन्ती के विवाह के पहले हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों न पड़ गए हों। इसी से जुड़ा एक वाक्या महाभारत में है जब अर्जुन के पिता भगवान इन्द्र ने कर्ण से उसके कुंडल और दिव्य कवच माँगे और कर्ण ने दे दिए। [1]

कर्ण

कुरुक्षेत्र में कर्ण

कुरुक्षेत्र में कर्ण

हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्र

नाम:

कर्ण

अन्य नाम:

वासुसेन,दानवीर कर्ण, राधेय, सूर्यपुत्र कर्ण, सूतपुत्र कर्ण , कौंत्य कर्ण , विजयधारी , वैकर्तना, मृत्युंजय कर्ण , दिग्विजयी कर्ण, अंगराज कर्ण

संदर्भ ग्रंथ:

महाभारत

व्यवसाय:

अंग देश के राजा

मुख्य शस्त्र:

धनुषबाण , विजय धनुष

राजवंश:

पैतृक राजवंश पांडव लेकिन कुंती द्वारा जन्म के समय त्याग देना व कौरव युवराज दुर्योधन से घनिष्ठ मित्रता के चलते कौरव राजवंशी।

माता-पिता:

जन्मदाता सूर्यदेव व श्रीमती कुंती।

लालन पालन कर्ता देवी राधा व श्री अधिरत

भाई-बहन:

युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन ,नकुल , सहदेव , सूर्यपुत्र शनि , सूर्यपुत्र यमराज , राधा पुत्र शोण

जीवनसाथी:

वृषाली और सुप्रिया

संतान:

वृषसेन , चित्रसेन , सत्यसेन , सुशेन , द्विपाल , शत्रुंजय , प्रसेन , वनसेन और वृषकेतु

कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था।[2] तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही। कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। उन्हें दानवीर और अंगराज कर्ण भी कहा जाता है।

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