CBSE BOARD X, asked by rakshitbajaj2006, 2 months ago

करुणा काल में भर्ती घरेलू हिंसा पर अपने विचार व्यक्त karein |
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Answered by arvindrtxgaming
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जैसे-जैसे दुनिया भर की सरकारें कोरोनावायरस के प्रसार को कम करने के लिए विभिन्न तीव्रता से लॉकडाउन लागू कर रहे हैं, और इससे भारत सहित कई देशों में घरेलू हिंसा की खबरों में अचानक बड़ा उछाल आया है। इस पोस्ट में, नलिनी गुलाटी ने कहा है कि कोविड-19 द्वारा पैसे हुए मौजूदा मौजूदा घरेलू हिंसा से पीड़ितों की स्थिति को बिगाड़ सकता है और साथ ही नए पीड़ित भी पैदा कर सकता है। उन्होने उन संभावित कदमों पर भी चर्चा की है जिसे सरकार और नागरिक समाज संस्थानों को इस समस्या का समाधान करने के लिए तुरंत उठाना चाहिए।

घरेलू हिंसा से पीड़ितों की स्थिति को बिगाड़ सकता है और साथ ही नए पीड़ित भी पैदा कर सकता है। उन्होने उन संभावित कदमों पर भी चर्चा की है जिसे सरकार और नागरिक समाज संस्थानों को इस समस्या का समाधान करने के लिए तुरंत उठाना चाहिए। 24 मार्च 2020 की रात को, तीन सप्ताह के लिए (अब 4 मई तक विस्तारित) देश में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा करते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने रामायण से लक्ष्मणरेखा का उदाहरण देते हुए इसके और घर की सीमा के बीच की समानताओं का उल्‍लेख किया। हम में से बहुत से लोग तुरंत इन प्रतिबंधों के कारण हमारे सामान्‍य जीवन और कार्य में आने वाले व्यवधानों के बारे में विचार करने लगे। इस महामारी के बारे में नए सिरे से सोचने तथा खुद की रक्षा करने के संबंध में भी चिंता प्रकट हुई ।

जो अपने दुराचारियों के साथ रह रहे थे, उनके लिए अब रेखा के दोनों ओर खतरा मंडरा रहा था।

अत्यधिक संक्रामक कोरोनावायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन या कोई प्रमाणित इलाज उपलब्ध न हो पाने के कारण इस बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए ‘सामाजिक दूरी’, एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में उभरी है और दुनिया भर में सरकारों द्वारा अलग-अलग स्तर के लॉकडाउन लागू किए जा रहे हैं। घर पर रहने के भयावह आदेशों के परिणामस्‍वरूप दोनों, विकसित एवं विकासशील देशों से अचानक घरेलू हिंसा की खबरों में एक बड़ा उछाल आया है।

घर पर रहना असुरक्षित है?

भारत में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (2018) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 1,03,272 महिलाओं ने "पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता" की शिकायत दर्ज कराई है, जो महिलाओं के खिलाफ सभी रिपोर्ट किए गए अपराधों की सबसे बड़ी श्रेणी (एक तिहाई) है। राष्ट्रीय महिला आयोग को 23 मार्च से 10 अप्रैल के बीच ऐसे 123 'ईमेल' प्राप्त हुए हैं, जिससे घरेलू हिंसा की शिकायतों की तीव्र वृद्धि ज़ाहिर होती है। केरल और पंजाब जैसे राज्य सरकारों ने और महिला आयोगों ने भी इस खतरनाक प्रवृत्ति पर गौर किया है।

सामान्य समय में भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कम रिपोर्टिंग की समस्‍या रहती है। सामाजिक कलंक के अलावा, इसका एक महत्वपूर्ण कारण अपराधी(यों) द्वारा बदला लिए जाने का डर भी है। लॉकडाउन के दौरान आवाजाही में बाधा होने के कारण माता-पिता के घर जैसे सुरक्षित स्थान पर जाने का विकल्प समाप्‍त हो जाता है, अत: इस दौरान घरेलू दुर्व्‍यवहार या हिंसाओं की कम रिपोर्टिंग की संभावना और भी बढ़ जाती है। दुर्व्‍यवहार करने वाले के साथ कैद हो जाने के कारण, फोन कॉल कर अपनी स्थिति के बारे में अधिकारियों, दोस्तों या रिश्तेदारों से बात करना मुश्किल हो सकता है 11 भले कुछ महिलाएं मदद लेने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम हो सकती हैं, लेकिन अशिक्षित एवं गरीब महिलाओं के लिए, ऐसी परिस्थिति में, शिकायत को दर्ज करने की संभावना और धूमिल हो जाती है क्योंकि वे आमतौर पर इसके लिए डाक का इस्तेमाल करती थीं।

लॉकडाउन की स्थिति न केवल मौजूदा पीड़ितों के साथ होने वाली हिंसा को बढ़ा सकती है, बल्कि नए पीड़ित भी बना सकती है। अचानक पूरे दिन घर में रहने की अप्राकृतिक स्थिति, हर दिन बिना आगंतुकों के, और सामान्य से अधिक खाली समय अपने आप में कई मनोवैज्ञानिक मुद्दों का कारण बन सकता है। इसके साथ, घातक वायरस का डर और काम एवं वित्तीय सुरक्षा के बारे में अनिश्चितता भी मौजूद रहती है। जैसे-जैसे हम सामाजिक क्रम के निचले स्‍तर की ओर जाते हैं, दैनिक वेतन के अभाव में बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और नियमित आपूर्ति तक पहुंच से संबंधित तनाव भी नज़र आते ते हैं2 । घबराहट के इस समय में, ऐसी स्थितियों की भी कल्पना की जा सकती है जहां वायरस के संक्रमण का बहाना बना कर घर के भीतर किसी को अलग-थलग किया जाता है या किसी का बहिष्‍कार किया जाता है - जो भावनात्मक शोषण और मानसिक उत्पीड़न को गहरा करता है।

वास्तव में, आर्थिक मंदी की भविष्यवाणी को देखते हुए, नौकरियां खोने और व्‍यवसाय विफल हो जाने के कारण लॉकडाउन के बाद भी मानसिक तनाव से प्रेरित दुर्व्‍यवहार एवं हिंसा भारी मात्रा में जारी रहेगी3 । नौकरियां महिलाएं भी खोएँगी। वित्तीय स्वतंत्रता के इस नुकसान की कीमत, इनमे से कुछ महिलाओं को घर पर अपने सशक्‍त महसूस करने और सौदेबाजी की शक्ति खोकर चुकानी पड़ेगी। महिलाओं की कमजोर स्थिति उनके साथ दुर्व्यवहार करने वालों को और साहस दे सकती है।

वर्तमान कार्रवाई: राज्य और नागरिक समाज क्या कर सकते हैं

कोविड-19 ने ऐसा परिदृश्‍य प्रस्‍तुत किया है जिसमें घरेलू दुर्व्यवहार घटनाएं बढ़ी हैं, और पीड़ितों द्वारा रिपोर्ट करने और उनकी मदद करने में अधिक जटिलता आई है। घरेलू दुर्व्यवहार की समस्‍या का समाधान करने के लिए मौजूदा तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है, साथ ही इन असाधारण परिस्थितियों के अनुरूप नए समाधानों पर विचार-विमर्श भी किया जाना चाहिए। जिन मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है और जो उपाय किए जा सकते हैं उनकी व्यवहार्यता लॉकडाउन और लॉकडाउन के बाद की अवधि में अलग-अलग होगी। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि ये उपाय शिक्षा के स्तर, प्रौद्योगिकी तक पहुंच और इसे उपयोग करने की क्षमता के स्‍तर पर प्रभावशाली हों।

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