‘कर्ण’ खण्डकाव्य के आधार पर श्रीकृष्ण और कर्ण के बीच हुए वार्तालाप का उदाहरण देते हुए चतुर्थ सर्ग की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
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Explanation:
महाभारत कालीन रिश्ते और उनके द्वंद्व, जिसमें छल, ईर्ष्या, विश्वासघात और बदले की भावना का बाहुल्य है, लेकिन इसी में प्रेम-प्यार, अकेलापन और बलिदान भी है। आओ जानते हैं कि कर्ण और भगवान श्रीकृष्ण के संबंधों को लेकर पांच महत्वपूर्ण बातें।
1.भगवान श्रीकृष्ण का भाई था कर्ण-
कुंति पुत्र कर्ण एक महान योद्ध था जो कौरवों की ओर से लड़ा था। कुंती श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की बहन और भगवान कृष्ण की बुआ थीं। कुंति का पुत्र होने के कारण कर्ण भगवान श्री कृष्ण का भाई था।
2.कृष्ण के कारण ही गवांना पड़े कर्ण को कवच और कुंडल
कृष्ण के कारण ही कर्ण को अपने कवच और कुंडलों को इंद्र को दान देने पड़े थे। दरअसल, श्रीकृष्ण ने ही अपनी नीति के तहत इंद्र से कहा था कि तुम ब्राह्मण वेश में कर्ण के द्वार जाओ और उससे दान में कवच और कुंडल मांग लो, क्योंकि यदि महाभारत के युद्ध में कर्ण के पास उसके कवच और कुंडल रहे तो उसे हराना मुश्किल होगा।