Hindi, asked by lakeshbisen98, 8 months ago

करुणा निबंध का सारांश लिखिए​

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Answered by mandalsneha959
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Answered by bhatiamona
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'करुणा' निबंध का सारांश :

'करुणा' निबंध आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित एक निबंध है। इस निबंध के माध्यम से लेखक ने करुणा के मनोभावों का विश्लेषण किया है।

लेखक के अनुसार सुख और दुख की अनुभूतियां ही प्रेम, राग, द्वेष, उत्साहस क्रोध, करुणा, आश्चर्य आदि मनोविकारों का रूप धारण करते हैं। यही मनोविकार अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।

करुणा दुख की अनुभूति का ही एक प्रकार है। क्रोध भी दुख की अनूभूति में ही गिना जा सकता है। लेकिन क्रोध के परिणाम करुणा के विपरीत होता है, क्योंकि जिसके प्रति क्रोध उत्पन्न होता है उसकी हानि करने की चेष्टा करता है। लेकिन इसके विपरीत जिसके प्रति करुणा उत्पन्न होती है, उसकी भलाई करने की चेष्टा की जाती है। इसीलिए करुणा के भाव में किसी की भलाई की भूमिका होती है।

मनुष्य समाज में रहता है उसकी अनुभूतियां समाज के अन्य सदस्यों की क्रिया अथवा अवस्था पर केंद्रित हो जाती हैं। वो दूसरों के दुख के कारण दुखी होता है और सुख के कारण सुखी होता है। लेकिन सुख की अनुभूति की अपेक्षा दुख की अनुभूति व्यापक प्रभाव डालती है।

दुख की अनुभूति के कारण ही करुणा उत्पन्न होती है। कहने का भाव है कि पढ़ने के लिए करुणा उत्पन्न होने के लिए सुख की स्थिति होना एकमात्र अनिवार्यता है, जबकि सुख की अवस्था के साथ ऐसा नहीं है।

इस तरह अपने पूरे निबंध के माध्यम से लेखक ने करुणा के अलग-अलग भावों का विश्लेषण किया है।

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