Hindi, asked by nikhilsodhiya123, 1 year ago

करुण रस को उदाहरण सहित समझाइए

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Answered by Anonymous
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karun ras ka udharan..
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manannarang1313: ok
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Answered by jayathakur3939
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करुण रस

करुण रस का अर्थ:– बन्धु–विनाश, बन्धु–वियोग, द्रव्यनाश और प्रेमी के सदैव के लिए बिछुड़ जाने से करुण रस उत्पन्न होता है। यद्यपि दुःख का अनुभव वियोग शृंगार में भी होता है, तथापि वहाँ मिलने की आशा भी बँधी रहती है। अतएव जहाँ पर मिलने की आशा पूरी तरह समाप्त हो जाती है, वहाँ ‘करुण रस’ होता है |

स्थायी भाव –शोक।

आलम्बन विभाव –विनष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु।आ

उदाहरण

अभी तो मुकुट बँधा था माथ,

हुए कल ही हल्दी के हाथ,

खुले भी न थे लाज के बोल,

खिले थे चुम्बन शून्य कपोल,

हाय रुक गया यहीं संसार,

बना सिंदूर अनल अंगार,

वातहत लतिका वह सुकुमार,

पड़ी है छिन्नाधार !

अर्थात :- इन पंक्तियों में ‘विनष्ट पति’ आलम्बन तथा ‘मुकुट का बँधना, हल्दी के हाथ होना, लाज के बोलों का न खुलना’ आदि उद्दीपन हैं। ‘वायु से आहत लतिका के समान नायिका का बेसहारे पड़े होना’ अनुभाव है तथा उसमें विषाद, दैन्य, स्मृति, जड़ता आदि संचारियों की व्यंजना है। इस प्रकार करुणा के सम्पूर्ण उपकरण और ‘शोक’ नामक स्थायी भाव इस पद्य को करुण रस–दशा तक पहुँचा रहे हैं।

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