करुण रस और श्रृंगार रस में क्या अंतर है
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करुण तथा वियोग श्रृंगार में सूक्ष्म अंतर है। करुण रस जहां जीवित व्यक्ति से मिलने की विवशता को प्रकट करता है , वही वियोग श्रृंगार नायक अथवा नायिका के मृत्यु के उपरांत प्रकट होता है। प्रश्न – राम के वन गमन के उपरांत राजा दशरथ की जिस स्थिति का वर्णन राम चरित्र मानस में किया गया है।
करुण रस और श्रृंगार रस में क्या अंतर है
करुण रस और श्रृंगार रस में मुख्य अंतर यह है कि करुण रस वियोग एवं दुख का प्रतीक होता है। जब व्यक्ति के अंदर अपने किसी प्रियजन के बिछोह का दुख होता है अथवा उसे जीवन में किसी कष्ट आदि का सामना करना पड़ता है, तब करुण रस की उत्पत्ति होती है।
जबकि श्रृंगार रस प्रेम का प्रतीक है। प्रेम सुखात्मक भी हो सकता है और दुखात्मक भी हो सकता है। सुख में संयोग श्रंगार होता है तो दुख में वियोग श्रृंगार होता है।
शृंगार रस में सुख और दुख दोनों भाव होते हैं जबकि करुण रस में केवल दुखात्मक भाव ही होता है अर्थात करुण रस केवल दुख से संबंधित है। जबकि श्रंगार रस प्रेम से संबंधित है, इसमें संयोग या वियोग दोनो हो सकते हैं ।
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निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस का नाम बताइए
दूलह श्री रघुनाथ बने, दुलही सिय सुंदर मंदिर माही।।
गावत गीत सबै मिलि सुंदरि वेद जुआ जुरि विप्र पढ़ाही।।
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याते सबै सुधि भूलि गई कर टेकि रही पल टारति नाहीं।