'कर्तव्य पालन' पाठ के आधार पर बताइये कि हम सुख-दुःख के बंधन से मुक्त कैसे हो सकते है? एक विद्यार्थी होने
के नाते आपके क्या कर्तव्य है?
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हमें सुख और दुख में सदैव समान रहना चाहिए। न सुख में अधिक उत्साहित होना चाहिए और न दुख में अत्यधिक व्याकुल ही। ये दोनों समान तत्त्व हैं। जब हम इन्हें समान मानेंगे तब हम इसके बंधन से मुक्त हो जाएंगे। न तो सुख मिलने पर अधिक प्रसन्न होंगे और न ही दुख आने पर ज्यादा दुखी ही। इस उपाय से हम सुख और दुख के बंधन से मुक्त हो सकते हैं।
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Chahiye
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