कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ! व्याख्या
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झंकृत = उत्पन्न कर दी, मधुर बनाया। साँसों के दो तार = जीवनरूपी वीणा। स्नेह सुरा = प्रेम की मस्ती। ... व्याख्या-कवि बच्चन कहते हैं कि मेरे ऊपर अनेक सांसारिक उत्तरदायित्व हैं, जिनके कारण मेरा जीवन भार-स्वरूप हो गया है परन्तु मेरे मन में सभी के प्रति प्रेम तथा स्नेह के भाव विद्यमान हैं।
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