कराड़
आमरण 2. निम्नलिखित आंकड़ों से प्रचालन अधिशेष तथा बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय
अन्याय की गणना कीजिए-
म
१ (करोड़ में)
सामाजिक सुरक्षा में कर्मचारियों का शिलान
45
मूल्याहास
3. मजदूरी तथा वेतन
400
4.
5.
आर्थिक साहयता
रॉयल्टी
30
7.
36
8. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
5
9.
लाभ
135
10. विदेश से प्राप्त शुद्ध साधन
20
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Answer:
सामाजिक सुरक्षा संहिता बिल 2019 को लोकसभा में पेश कर दिया गया है. तीन संहिताएं पहले ही संसद का रुख कर चुकी हैं. 44 श्रम कानूनों की जगह लाई गईं इन संहिताओं से कर्मचारियों-मजदूरों का कितना भला होगा, इस पर सवाल हैं.
भारत सरकार के कथित आर्थिक और सामाजिक सुधारों की कड़ी में सभी 44 श्रम कानूनों में रद्दोबदल कर उनके स्थान पर चार संहिताएं बनायी गयी हैं. सामाजिक सुरक्षा, वेतन, औद्योगिक संबंध, और सुरक्षा स्वास्थ्य और काम के हालात. केंद्रीय कैबिनेट सभी चार संहिताएं बारी बारी से मंजूर कर चुकी है. इनमें से वेतन संहिता अगस्त में संसद से पास करा ली गयी थी जबकि पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम के हालत वाली संहिता को श्रम पर गठित संसद की स्थायी समिति को रेफर किया गया है. औद्योगिक संबंध संहिता बिल 2019 संसद में रखा जा चुका है. अब केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बुधवार को लोकसभा में सामाजिक सुरक्षा संहिता बिल 2019 पेश किया है.
इसके तहत देश में कार्यरत 60-70 करोड़ कर्मचारियों-कामगारों की सामाजिक सुरक्षा को सार्वभौम बनाने का दावा किया जा रहा है. 44 श्रम कानूनों की जगह बनायी गईं चार श्रम संहिताओं में से सामाजिक सुरक्षा संहिता के हिस्से आठ केंद्रीय श्रम कानून आए हैं जिन्हें इस संहिता में विलीन कर दिया गया हैः इम्प्लॉइज कंपेनसेशन एक्ट 1923, इम्प्लॉइज स्टेट इंश्योरेंस एक्ट 1948, इम्प्लॉइज प्रोविडेन्ट फंड्स ऐंड मिसलेनियस प्रोवीजंस एक्ट 1952, मैटर्निटी बेनेफिट एक्ट 1961, पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972, सिने वर्कर्स वेल्फेयर फंड एक्ट 1981, बिल्डिंग ऐंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स सेस ऐक्ट, 1997 और अनऑर्गनाइज्ड वर्कर्स सोशल सिक्योरिटी ऐक्ट 2008.