करबोनिल समूह की आर्बिटल संरचना का वर्णन
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कार्बोनिल समूह की संरचना :
1. कार्बोनिल समूह में कार्बन व ऑक्सीजन दोनों को SP2 संकरण होता है।
C6 = 1S² 2S² 2P² , O8 = 1S² 2S² 2P⁴
2. कार्बन के तीन SP2 संकरण कक्षक तीन सिग्मा बंध का निर्माण करते है।
3. कार्बन व ऑक्सीजन पर एक एक अर्द्धपूर्ण असंतृप्त p कक्षक शेष रह जाता है जो पाश्विक अतिव्यापन से पाई बंध का निर्माण करता है।
4. ऑक्सीजन की विद्युत ऋणता अधिक होने के कारण पाई बंध के इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन की ओर विस्थापित हो जाता है जिससे ऑक्सीजन पर आंशिक ऋणावेश व कार्बन पर आंशिक धनावेश आ जाता है , अतः कार्बोनिल समूह ध्रुवीय प्रकृति का होता है।
कार्बोनिल समूह (carbonyl group) : वे द्विसंयोजी समूह जिनमे कार्बन व ऑक्सीजन द्विबन्ध से जुड़े होते है , कार्बोनिल समूह कहलाते है।
एल्डिहाइड व कीटोन में कर्बोनिल ग्रुप पाया जाता है।
एल्डिहाइड : यदि कर्बोनिल समूह की एक संयोजकता एल्किल या एरिल समूह द्वारा व दूसरी संयोजकता हाइड्रोजन द्वारा जुडी हो तो ऐसे यौगिक एल्डीहाइड कहलाते है।
अपवाद : फार्मेल्डिहाइड में कर्बोनिल की दोनों संयोजकता हाइड्रोजन द्वारा जुडी होती है।
कीटोन : इसमें कर्बोनिल समूह की दोनों संयोजकता एल्किल या एरिल समूह द्वारा जुडी हो तो ऐसे यौगिक किटोन कहलाते है।