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संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।
कारक के भेद-
हिन्दी में कारको की संख्या आठ है-
(1)कर्ता कारक (Nominative case)
(2)कर्म कारक (Accusative case)
(3)करण कारक (Instrument case)
(4)सम्प्रदान कारक(Dative case)
(5)अपादान कारक(Ablative case)
(6)सम्बन्ध कारक (Gentive case)
(7)अधिकरण कारक (Locative case)
(8)संबोधन कारक(Vocative case)
कारक के विभक्त्ती चिन्ह ( Mentioned in the photo )
(1)कर्ता कारक (Nominative case):-वाक्य में जो शब्द काम करने वाले के अर्थ में आता है, उसे कर्ता कहते है।
दूसरे शब्द में- क्रिया का करने वाला 'कर्ता' कहलाता है।
इसकी विभक्ति 'ने' लुप्त है।
जैसे- ''मोहन खाता है।'' इस वाक्य में खाने का काम मोहन करता है अतः कर्ता मोहन है ।
(2)कर्म कारक (Accusative case) :-जिस संज्ञा या सर्वनाम पर क्रिया का प्रभाव पड़े उसे कर्म कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'को' है।
जैसे- माँ बच्चे को सुला रही है।
इस वाक्य में सुलाने की क्रिया का प्रभाव बच्चे पर पड़ रहा है। इसलिए 'बच्चे को' कर्म कारक है।
(3)करण कारक (Instrument case):- जिस वस्तु की सहायता से या जिसके द्वारा कोई काम किया जाता है, उसे करण कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के सम्बन्ध का बोध हो, उसे करण कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'से' है।
जैसे- ''हम आँखों से देखते है।''
इस वाक्य में देखने की क्रिया करने के लिए आँख की सहायता ली गयी है। इसलिए आँखों से करण कारक है ।
(4)सम्प्रदान कारक (Dative case):- जिसके लिए कोई क्रिया (काम )की जाती है,
उसे सम्प्रदान कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- जिसके लिए कुछ किया जाय या जिसको कुछ दिया जाय, इसका बोध करानेवाले शब्द के रूप को सम्प्रदान कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'को' और 'के लिए' है।
जैसे- शिष्य ने अपने गुरु के लिए सब कुछ किया। गरीब को धन दीजिए।
''वह अरुण के लिए मिठाई लाया।''
इस वाक्य में लाने का काम 'अरुण के लिए' हुआ। इसलिए 'अरुण के लिए' सम्प्रदान कारक है।
(5)अपादान कारक(Ablative case):-जिससे किसी वस्तु का अलग होना पाया जाता है,
उसे अपादान कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु के अलग होने का भाव प्रकट होता है, उसे
अपादान कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'से' है।
जैसे- ''दूल्हा घोड़े से गिर पड़ा।''
इस वाक्य में 'गिरने' की क्रिया 'घोड़े से' हुई अथवा गिरकर दूल्हा घोड़े से अलग हो गया। इसलिए 'घोड़े से' अपादान कारक है।
(6)सम्बन्ध कारक (Gentive case):-शब्द के जिस रूप से संज्ञा या सर्वनाम के संबध का ज्ञान हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी अन्य शब्द के साथ सम्बन्ध या लगाव प्रतीत हो, उसे सम्बन्धकारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'का', 'की', और 'के' हैं।
जैसे- ''सीता का भाई आया है।''
इस वाक्य में गीता तथा भाई दोनों शब्द संज्ञा है। भाई से गीता का संबध दिखाया गया है। वह किसका भाई है ? गीता का। इसलिए गीता का संबध कारक है ।
(7)अधिकरण कारक (Locative case):-शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का ज्ञान होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- क्रिया या आधार को सूचित करनेवाली संज्ञा या सर्वनाम के स्वरूप को अधिकरण कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'में' और 'पर' हैं।
जैसे-
मोहन मैदान में खेल रहा है। इस वाक्य में 'खेलने' की क्रिया किस स्थान पर हो रही है ?
मैदान पर। इसलिए मैदान पर अधिकरण कारक है।
(8)संबोधन कारक(Vocative case):-जिन शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने में किया जाता है, उसे संबोधन कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में-संज्ञा के जिस रूप से किसी के पुकारने या संकेत करने का भाव पाया जाता है, उसे सम्बोधन कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'अरे', 'हे' आदि है।
जैसे-
'हे भगवान' से पुकारने का बोध होता है। सम्बोधनकारक की कोई विभक्ति नहीं होती है। इसे प्रकट करने के लिए 'हे', 'अरे', 'रे' आदि शब्दों का प्रयोग होता है।
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Answer:
इसकी विभक्ति 'ने' लुप्त है। जैसे- ''मोहन खाता है।'' इस वाक्य में खाने का काम मोहन करता है अतः कर्ता मोहन है । ... दूसरे शब्दों में- वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के सम्बन्ध का बोध हो, उसे करण कारक कहते है। इसकी विभक्ति 'से' है।
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