करके तरू-मूलों का सिंचन,
लघु जल धारों से आलिंगन,
जल-कुंडों में करके नर्तन,
करके अपना बहु परिवर्तन। meaning of this
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करके तरू-मूलों का सिंचन,
लघु जल धारों से आलिंगन,
जल-कुंडों में करके नर्तन,
करके अपना बहु परिवर्तन।
भावार्थ लिखिए।
दी गई कविता की पंक्तियों का भावार्थ निम्न प्रकार से लिखा गया है।
- संदर्भ :
- प्रस्तुत पंक्तियां " यह लघु सरिता का बहता जल " कविता से ली गई है। इस कविता के रचयिता है गोपालसिंह नेपाली
- प्रसंग :
- इस कविता में कवि ने नदी के कल कल बहते जल का उल्लेख किया है।कवि ने नदी के रूप , रंग व स्वभाव का अति सुंदर चित्रण किया है।
- व्याख्या :
- कवि इन पंक्तियों में कहते है कि जब नदी हिमालय से निकलती है तब इसका जल स्वच्छ व निर्मल होता है। नदी संघर्ष करती हुई आगे बढ़ती है।
- सारी बाधाओं को पार कर , सूर्य की गर्मी में तपकर भी हमें शीतलता प्रदान करती है। पेड़ पौधों को पानी से सिंचित करती है।नदी की शीतलता तथा चंचलता देखकर कवि को आश्चर्य होता है।
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करके तरु मूल्य का सिंचन लघु जल धारों से आलिंगन जल करके नर्तन करके अपना बहू परिवर्तन
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