Hindi, asked by ashmit115, 9 days ago

करण के बारे में 10 वाक्य​

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Answered by tuntunsaw109
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1 पहला रहस्य : हालांकि यह कथा मान्यता पर आधारित है। कहते हैं कि द्रौपदी को महारथी कर्ण से प्रेम था और कर्ण को भी द्रौपदी पसंद थी। स्वयंवर में कर्ण भी गए थे। राजा द्रपुद का भीष्म से विरोध था और कर्ण भीष्म के पक्ष में थे। राजा द्रुपद ने द्रौपदी को पहले ही बता दिया था कि कर्ण एक सूत पुत्र है और यदि तुमने उन्हें पसंद किया तो जीवनभर तुम्हें एक दास की पत्नी के रूप में पहचाना जाएगा।

2 दूसरा रहस्य : दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था। कहते हैं कि भानुमति का कर्ण के साथ अच्छा संबंध हो चला था। दोनों एक-दूसरे के साथ मित्र की तरह रहते थे। कर्ण और दुर्योधन की पत्नी भानुमति एक बार शतरंज खेल रहे थे। इस खेल में कर्ण जीत रहा था। तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े होने की कोशिश की। दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था इसलिए जैसे ही भानुमति ने उठने की कोशिश की, कर्ण ने पकड़कर बिठाना चाहा।

3 तीसरा रहस्य : एक बार कुंती कर्ण के पास गई और उससे पांडवों की ओर से लड़ने का आग्रह करने लगी। कर्ण को मालूम था कि कुंती मेरी मां है। कुंती के लाख समझाने पर भी कर्ण नहीं माने और कहा कि जिनके साथ मैंने अब तक का अपना सारा जीवन बिताया उसके साथ मैं विश्‍वासघात नहीं कर सकता।

4 चौथा रहस्य : कर्ण की शक्ति अर्जुन और दुर्योधन से कम नहीं थी। उसके पास इंद्र द्वारा दिया गया अमोघास्त्र था जिसे इंद्र ने कवच और कुंडल के बदले में दिया था। अमोघास्त्र देवे वक्त इंद्र ने कहा था कि तुम इसका प्रयोग एक ही बार कर सकते हो। यह जिस पर भी चलाया जाएगा वह निश्चित ही मारा जाएगा।

5 पांचवां रहस्य : कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण, कर्ण और द्रौपदी के शरीर में समानता थी। कृष्णी की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जाती थीं इसलिए सामान्यत: लड़कियों के समान दिखने वाला उनका लावण्यमय शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था। यही खासियत द्रौपदी और कर्ण के शरीर में भी थी। इसका मतलब यह कि ये तीनों लोग वक्त के साथ अपने शरीर को कोमल या कठोरतम बना लेते थे।

6 छठा रहस्य : किंवदंती है कि एक बार कर्ण ने अपना यौवन ही दान दे दिया था। कथा अनुसार एक बार की बात है दुर्योधन के महल पर भगवान नारायण स्वयं विप्र के वेश में पधारे और दुर्योधन के भिक्षा मांगने लगे।

7 सातवां रहस्य : कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध था। कहते हैं कि कर्ण जब युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था तो भगवान कृष्ण ने उसकी दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही। वे गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा कि तुम्हारे बारे में काफी सुना है और तुमसे मुझे अभी कुछ उपहार चाहिए। कर्ण ने उत्तर में कहा कि आप जो भी चाहें मांग लें। ब्राह्मण ने सोना मांगा।

8 आठवां रहस्य : उस काल में द्रोणाचार्य, परशुराम और वेदव्यास को ही ब्रह्मास्त्र चलाना और किसी के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किए जाने पर उसे असफल कर देना याद था। जब द्रोणाचार्य ने कर्ण को ब्रह्मास्त्र विद्या सिखाने से इंकार कर दिया, तब वे परशुराम के पास पहुंच गए। परशुराम ने प्रण लिया था कि वे इस विद्या को किसी ब्राह्मण को ही सिखाएंगे, क्योंकि इस विद्या के दुरुपयोग का खतरा बढ़ गया था। कर्ण यह सीखना चाहता था तो उसने परशुराम के पास पहुंचकर खुद को ब्राह्मण का पुत्र बताया और उनसे यह विद्या सीख ली।

9 नौवां रहस्य : परशुरामजी के आश्रम से शिक्षा ग्रहण करने के बाद कर्ण वन में भटक रहे थे। इस दौरान वे शब्दभेदी विद्या सीख रहे थे। एक दिन जब वे इस विद्या का अभ्यास कर रहे थे तब उन्होंने एक गाय के बछड़े को अन्य वन्य पशु समझकर शब्दभेदी बाण चला दिया और उस बाण से बछडा़ मारा गया। तब उस गाय-बछड़े के स्वामी ब्राह्मण ने कर्ण को शाप दे दिया कि जिस प्रकार उसने एक असहाय बछड़े को मारा है, वैसे ही एक दिन वह भी तब मारा जाएगा जबकि वह खुद को असहाय महसूस करेगा और जब उसका सारा ध्यान अपने शत्रु से कहीं अलग किसी और काम पर होगा।

10 दसवां रहस्य : युद्ध में एक ओर कृष्ण थे, तो दूसरी ओर कर्ण। कर्ण दुर्योधन के तो कृष्ण, अर्जुन के दोस्त थे। यदि युद्ध में कर्ण को असहाय स्थिति में देखकर नहीं मारा जाता, तो अर्जुन की क्षमता नहीं थी कि वे कर्ण को मार देते। कृष्ण की नीति के तहत ही कर्ण का विवाह द्रौपदी से होने से रोक दिया, कृष्ण ने ही अपनी नीति से उनके कवच-कुंडल हथियाए और इन्द्र द्वारा दिया गया एकमात्र अचूक अमोघ अस्त्र जो वह अर्जुन पर चलाना चाहता था, वह घटोत्कच पर चलवाया गया।

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