करणी की गति और है, कथनी की और।
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जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल । पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल ॥1॥ भावार्थ / अर्थ – मुँह से जैसी बात निकले, उसीपर यदि आचरण किया जाय, वैसी ही चाल चली जाय, तो भगवान् तो अपने पास ही खड़ा है, और वह उसी क्षण निहाल कर देगा ।
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जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल । पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल ॥1॥ भावार्थ / अर्थ – मुँह से जैसी बात निकले, उसीपर यदि आचरण किया जाय, वैसी ही चाल चली जाय, तो भगवान् तो अपने पास ही खड़ा है, और वह उसी क्षण निहाल कर देगा ।
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