करण ने अपने जन्मजात कवच और कुंडल निकालकर भिक्षा में किसे दिए
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करण ने अपने जन्मजात कवच और कुंडल निकालकर भिक्षा में किसे दिए
उत्तर : करण ने अपने जन्मजात कवच और कुंडल निकालकर भिक्षा में इंद्र को दे दिये थे।
महाभारत में कर्ण सूर्य के पुत्र माने जाता हैं जो कवच और कुंडल के साथ पैदा हुआ था। कर्ण को अपने पिता सूर्य से आशीर्वाद था कि कवच कुंडल धारण किए हुए कर्ण को कोई भी युद्ध में नहीं हरा सकता था। करण की माता कुंती थी और अर्जुन भी कुंती का ही पुत्र था। ऐसी स्थिति में कर्ण को हराने के लिए देवराज इंद्र में एक चाल चली। देवराज इंद्र को अर्जुन का पिता माना जाता है।
कर्ण बेहद दानवीर था, अपने द्वारा से किसी को भी खाली हाथ नही जाने देता था। एक बार देवराज इंद्र भिक्षुक का भेष बनाकर पूजा कर रहे करण के सामने चले गए, और उससे उसके कवच-कुंडल मांग लिये। कर्ण ने अपने दानवीर स्वभाव के कारण सहर्ष ही अपने कवच-कुंडल कर्ण को दे दिए।
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उत्तर : करण ने अपने जन्मजात कवच और कुंडल निकालकर भिक्षा में इंद्र को दे दिये थे। महाभारत में कर्ण सूर्य के पुत्र माने जाता हैं जो कवच और कुंडल के साथ पैदा हुआ था। कर्ण को अपने पिता सूर्य से आशीर्वाद था कि कवच कुंडल धारण किए हुए कर्ण को कोई भी युद्ध में नहीं हरा सकता था। ... देवराज इंद्र को अर्जुन का पिता माना जाता है।
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