Hindi, asked by Ramkaran57405, 6 months ago

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान (अभ्यास के साथ परिश्रम,लग्न का महत्व)​

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Answered by maheshwari6687
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Answer:

उपर्युक्त सूक्ति में कवि मात्र यही कहना चाहता है कि जीवन निरंतर सजग रहकर निरंतर चलते रहने अर्थात परिश्रम करने वालों का ही हुआ करता है। एक बार की हार या जड़ता की अनुभूति से बैठे रहने वाले साधनों की सुलभता में भी सफल नहीं हुआ करते। करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान।

Explanation:

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