Karm hi insan ki pehchan he essay in 200 to 250 words..
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कभी कभी मैं सोचता हूँ कि ,
उसका बाप कितना बड़ा आदमी है !
वो बड़ी सी गाड़ी में आता है ,
रोज सैंकड़ों रूपये उडाता है।
जब देखो नई घड़ी दिखाता है।
सब उसको बड़े बाप का बेटा समझते हैं।
लेकिन जब इम्तिहान का रिजल्ट आता है ,
तब मुँह छुपाता फिरता है ,
घर जाने से बहुत डरता है।
वो ऐसा क्यों करता है ,
वो तो बड़े बाप का बेटा हैं ना !
फिर इसको देखता हूँ तो सोचता हूँ ,
वो कितने ग़रीब घर से है।
रोज एक ही जोड़ी कपड़ों को धोकर पहनता है।
घर का खाना खाता है।
कभी पिक्चर के लिए क्लास बंक नहीं करता।
किताबें भी कभी कभी मांग कर पढता है।
लेकिन जब रिजल्ट आता है ,
तब क्लास में सबसे अव्वल नंबर पर आता है।
अमीर लड़के उससे दोस्ती नहीं करते ,
लेकिन सभी मास्टरों का चहेता है।
हर साल क्लास में वही तो प्रथम आता है।
सच, इंसान अपने कर्मों से ही जाना जाता है।
ये बात वो नहीं समझ सकते जो नादान हैं ,
देखा जाये तो कर्म ही इंसान की पहचान हैं।
उसका बाप कितना बड़ा आदमी है !
वो बड़ी सी गाड़ी में आता है ,
रोज सैंकड़ों रूपये उडाता है।
जब देखो नई घड़ी दिखाता है।
सब उसको बड़े बाप का बेटा समझते हैं।
लेकिन जब इम्तिहान का रिजल्ट आता है ,
तब मुँह छुपाता फिरता है ,
घर जाने से बहुत डरता है।
वो ऐसा क्यों करता है ,
वो तो बड़े बाप का बेटा हैं ना !
फिर इसको देखता हूँ तो सोचता हूँ ,
वो कितने ग़रीब घर से है।
रोज एक ही जोड़ी कपड़ों को धोकर पहनता है।
घर का खाना खाता है।
कभी पिक्चर के लिए क्लास बंक नहीं करता।
किताबें भी कभी कभी मांग कर पढता है।
लेकिन जब रिजल्ट आता है ,
तब क्लास में सबसे अव्वल नंबर पर आता है।
अमीर लड़के उससे दोस्ती नहीं करते ,
लेकिन सभी मास्टरों का चहेता है।
हर साल क्लास में वही तो प्रथम आता है।
सच, इंसान अपने कर्मों से ही जाना जाता है।
ये बात वो नहीं समझ सकते जो नादान हैं ,
देखा जाये तो कर्म ही इंसान की पहचान हैं।
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