Hindi, asked by baldevkumar219, 1 year ago

Karm hi Pooja par samwad

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Answered by Anisha143
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वायु, जल, भोजन आदि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं । वह इनके बिना जीवित नहीं रह सकता है । परंतु इन सबके लिए श्रम अथवा परिश्रम की आवश्यकता होती है । अकर्मण्यता मनुष्य के प्राकृतिक गुणों के विपरीत है ।

श्रम से ही वह अपने दैनिक कृत्यों का सुचारू रूप से संचालन कर सकता है तथा स्वयं को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकता है । जो मनुष्य श्रम पर आस्था रखते हैं और उसे ही पूजा समझते हैं वे कर्मवीर होते हैं । ऐसे व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी निराश व हताश नहीं होते अपितु संघर्ष करते हुए समस्त अवरोधों पर विजय प्राप्त करते हैं । वे लोग भाग्यवादी नहीं होते ।

वे जीवन पथ पर अपने नुकसान या आंशिक अवरोधों के लिए किसी अन्य को उत्तरदायी नहीं ठहराते । वे स्वयं ही उन परिस्थितियों का अवलोकन करते हैं एवं संबंधित कमियों का निवारण कर विजय पथ पर चल पड़ते हैं ।

श्रम से ही मनुष्य संपत्ति, यश, वैभव आदि सभी कुछ पा लेता है । मनुष्य का श्रम ही उसकी सफलता का मूलमंत्र है । समाज में प्रतिष्ठित व उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को हम प्राय: ‘भाग्यशाली’ की संज्ञा देते हैं परंतु यदि हम स्वयं उनसे यह प्रश्न करें अथवा उनकी जीवन शैली का अध्ययन करें तो उनकी सफलता के पीछे उनका अनवरत संघर्ष अथवा उनके परिश्रम का पता चलेगा



Anisha143: how r u
Anisha143: ok
Anisha143: not fine
Anisha143: aapko miss kar rhi thi
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