Hindi, asked by leena9313378939, 7 months ago

karma ke mahatva per anuchchhed​

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Answered by pranavk10
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जीवन में कर्म का महत्व सर्वविदित है, योगी कृष्ण ने तो यहाँ तक कहा कि मनुष्य का अधिकार केवल कर्म पर है , फल पर उसका अधिकार नही है . मनुष्य को अपना कर्म करना चाहिये और फल की इच्छा और चिंता नही करनी चाहिये. प्लेटो के विख्यात ग्रंथ 'दि रिपब्लिक'के अत्यंत दीर्घ व्याख्यान का सार भी यही है कि हर मनुष्य को अपना काम करना चाहिये. पंच तंत्र की कथाओं में भी अपने काम के महत्व को बताया गया है. उपनिषदों में तो सत्कर्म की शिक्षा दी गयी है. परन्तु क्या आज हम अपने देश में इन शिक्षाओं को लोगों को अपनाते या पालन करते हुये पाते हैं. प्लेटो अपने काम को करने को ही न्याय(धर्म) बताता है. हमारे यहाँ इसी को जीवन का लक्ष्य माना गया है. पर वास्तव में क्या होता है ? हम फल की इच्छा , कामना करते है और उसी की प्राप्ति के लिये काम करते हैं. बच्चे शिक्षा के लिये नहीं पढ़ते है वो केवल अधिक से अधिक नंबरों के लिये पढ़ते है. वो कैसे भी प्राप्त किये जाएं. वहीं वे अपने कर्म से विमुख होजाते हैं और फल , कभी कभी तो केवल और केवल फल के पीछे भागने लगते हैं. अक्सर बहुत से विद्यार्थी इसके लिये गलत रास्ते भी अपना लेते हैं.

Answered by learner5640
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गीता में कहा गया है:-

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"

अर्थात तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू फल की दृष्टि से कर्म मत कर और न ही ऐसा सोच की फल की आशा के बिना कर्म क्यों करूं |

किसी कर्म के प्रति हमारी दृष्टि यह होनी चाहिए कि हम उसे अच्छे से अच्छा करें। इन दिनों इस भावना का सर्वत्र अभाव दिखाई पड़ता है। कर्म को किसी भी प्रकार से निपटाने की भावना अहितकर है। कर्म में पूर्णता हमारा लक्ष्य होना चाहिए। आज जब हमारा देश एक नाजुक दौर से गुजर रहा है, सही समय पर सही तरीके से कार्य करने की बड़ी आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश आज ऐसा नहीं हो रहा। हम जो भी कर्म करें उसे पूर्णता के साथ करें। यही ईश्वर की सच्ची सेवा है। कर्म करते हुए कई कठिनाइयां भी आती हैं, किंतु ऐसे समय में हमें शांत भाव से अपने भीतर देखना चाहिए, तब रास्ता निकल आएगा

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