Karnatak me aangle farancici sangharsh ki ki vivechna kijiye
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भारत में ब्रिटिश तथा फ्रांसीसी कम्पनियां मुख्यतः व्यापारिक कम्पनियां थीं, किन्तु शीघ्र ही ये कम्पनियां भारत की राजनीति में अपरिहार्य रूप से उलझती चली गईं.
वास्तव में जब मुगल सत्ता क्षीण हो गई तथा दक्कन के सूबेदार इन कम्पनियों की रक्षा करने में असमर्थ साबित हुए तो इन कम्पनियों ने स्वयं ही अपनी रक्षा करने का बीड़ा उठाया.
इससे इनका भारत की राजनीति में अधिक उलझ जाना बहुत स्वाभाविक था.
भारत में फ्रांसीसियों का मुख्य कार्यालय पांडिचेरी में था तथा अंग्रेजों की मुख्य बस्तियां मद्रास, बम्बई और कलकत्ता में थीं.
इनके अलावा इन कम्पनियों के अन्य कार्यक्रम भी थे.
आंग्ल-फ्रांसीसी कम्पनियों के मध्य अपने एकाधिकार को स्थापित करने के लिए कर्नाटक में तीन युद्ध हुए.
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