kartu vachak sangya kisye kahte hai
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क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में, क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो और सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाए हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। रमेश केला खाता है। दिनेश पुस्तक नहीं पढता है।
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समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)
जिस संज्ञा से वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह का बोध हो, उसे 'समूहवाचक संज्ञा' कहते हैं, जैसे-व्यक्तियों का समूह-सभा, दल, गिरोह, वस्तुओं का समूह-गुच्छा, कुंज, मंडल, घौद।
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