Karun ras ka sthayi bhav aur udaharan dijiye in Hindi
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करुण रस की परिभाषा:-
जहाँ पर पुनः मिलने कि आशा समाप्त हो जाती है करुण रस कहलाता है इसमें निःश्वास, छाती पीटना, रोना, भूमि पर गिरना आदि का भाव व्यक्त होता है।
or
किसी प्रिय व्यक्ति के चिर विरह या मरण से जो शोक उत्पन्न होता है उसे करुण रस कहते है।
इसमें निम्न घटक सम्मिलित होते हैं :-
स्थायी भाव: शोक
संचारी भाव: विषाद, मोह, जड़ता, उन्माद, व्याधि, ग्लानि, निर्वेद
आलम्बन: प्रिय व्यक्ति की मृत्यु, प्रिय वास्तु का नाश
उदाहरण :हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक।
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रस :श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस से जिस भाव की अनुभूति होती है वह रस का स्थायी भाव होता है। रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अवयव हैं।
Answer:
karun raas ka syahi bhav shoaak hai