Hindi, asked by shrivatsaBobal, 1 year ago

karun ras ki koi kavita ???

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Answered by sheetal2015
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 मैथिलीशरण गुप्त


सखि, वे मुझसे कहकर जाते,
कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ-बाधा ही पाते?

मुझको बहुत उन्होंने माना
फिर भी क्या पूरा पहचाना?
मैंने मुख्य उसी को जाना
जो वे मन में लाते।
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

हु‌आ न यह भी भाग्य अभागा,
किसपर विफल गर्व अब जागा?
जिसने अपनाया था, त्यागा;
रहे स्मरण ही आते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

नयन उन्हें हैं निष्ठुर कहते,
पर इनसे जो आँसू बहते,
सदय हृदय वे कैसे सहते ?
गये तरस ही खाते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।
Answered by unknown121212
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Answer:

पुण्य भूमि है धरती अपनी

भारत माता के गीत सब गाओ रे

चन्दन है इस देश की माटी

इसका तिलक लगाओ रे ……………….

हर कन्या इस देश की सीता,

हर बालक कृष्ण सलोना

धरती अपनी अन्न जल देती

महकता हर आँगन हर कोना

सब मिल करे है भारत माँ का वंदन

उच्च स्वर में सब गुनगुनाओ रे

चन्दन है इस देश की माटी

इसका तिलक लगाओ रे ……………….

धरती सुनहरी अम्बर नीला

यहाँ बहती गंगा यमुना सरस सलिला

खुशिया है बाँटता हर शहर हर गाँव रे

चन्दन है इस देश की माटी

इसका तिलक लगाओ रे ……………….

बहुत कुछ पाया इस देश से हमने

जीवन की हर खुशिया और हर रंग

दिया देश ने हमको क्या जवानी क्या बचपन की छाओ रे

चन्दन है इस देश की माटी

इसका तिलक लगाओ रे ……………….

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