karyalin bhasha ka mahatwa ko prastut krna
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कार्यालयी-लेखन में व्यक्ति की भावनाओं से भाषा का संबंध नहीं होता, बरन् उसके व्यावसायिक पक्ष से होता है। भावों की नहीं तथ्यों की अभिव्यक्ति को भाषा में महत्व दिया जाता है। कार्यालयों में विविध कार्यों में काम में आने वाली भाषा का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है।
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