कसान
, पक, में उचित स्थान
पर उनुस्वार का प्रयोग करलिया
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CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण अनुस्वार एवं अनुनासिक
October 3, 2019 by Bhagya
CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण अनुस्वार एवं अनुनासिक

अनुस्वार के उच्चारण में ‘अं’ की ध्वनि मुख से निकलती है। हिंदी में लिखते समय इसका प्रयोग शिरोरेखा के ऊपर बिंदु लगाकर किया जाता है। इसका प्रयोग ‘अ’ जैसे किसी स्वर की सहायता से ही संभव हो सकता है; जैसे – संभव।
इसका वर्ण-विच्छेद करने पर ‘स् + अं(अ + म्) + भ् + अ + व् + अ’ वर्ण मिलते हैं। इस शब्द में अनुस्वार ‘अं’ का उच्चारण (अ + म्) जैसा हुआ है, पर अलग-अलग शब्दों में इसका रूप बदल जाता है; जैसे
संचरण = स् + अं(अ + न्) + च् + अ + र् + अ + ण् + अ
संभव = स् + अं(अ + म्) + भ् + अ + व् + अ ।
संघर्ष = स् + अं(अ + ङ्) + घ् + अ + र् + ष् + अ
संचयन = स् + अं(अ + न्) + च् + अ + य् + अ + न् + अ
अनुस्वार प्रयोग के कुछ नियम
अनुस्वार के प्रयोग के निम्नलिखित नियम हैं-
(i) पंचमाक्षर का नियम – जब किसी वर्ण से पहले अपने ही वर्ग का पाँचवाँ वर्ग (पंचमाक्षर) आए तो उसके स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग होता है; जैसे –
गङ्गा = गंगा,
ठण्डा = ठंडा,
सम्बन्ध = संबंध,
अन्त = अंत आदि।
(ii) य, र, ल, व (अंतस्थ व्यंजनों) और श, ष, स, ह (ऊष्म व्यंजनों) से पूर्व यदि पंचमाक्षर आए, तो अनुस्वार का ही प्रयोग किया जाता है; जैसे –
सन्सार = संसार,
सरक्षक = संरक्षक,
सन्शय = संशय आदि।
ध्यान दें – हिंदी को सरल बनाने के उद्देश्य से भिन्न-भिन्न नासिक्य ध्वनियों (ङ, ञ, ण, न और म) की जगह बिंदु का प्रयोग किया जाए। संस्कृत में इनका वही रूप बना रहेगा।
संस्कृत में – अङ्क, चञ्चल, ठण्डक, चन्दन, कम्बल।
हिंदी में – अंक, चंचल, ठंडक, चंदन, कंबल।
अनुस्वार का प्रयोग कब न करें-
निम्नलिखित स्थितियों में अनुस्वार का प्रयोग नहीं करना चाहिए-
(i)


(ii) यदि अनुस्वार के पश्चात् कोई पंचमाक्षर (ङ, ञ, ण, न, म) आता है, तो अनुस्वार का प्रयोग मूलरूप में किया जाता है। अनुस्वार का बिंदु रूप अस्वीकृत होता है; जैसे –


सम्+हार = संहार
सम्+सार = संसार
सम्+चय = संचय
सम्+देह = संदेह
सम्+ चार = संचार
सम्+भावना = संभावना
सम्+कल्प = संकल्प
सम्+जीवनी = संजीवनी
अनुनासिक

ध्यान दें- अनुनासिक की जगह अनुस्वार और अनुस्वार की जगह अनुनासिक के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है,जैसे –
हँस (हँसने की क्रिया)
हंस (एक पक्षी)।

हैं = ह + एँ
मैं = म् + एँ
में = म् + एँ
कहीं = क् + अ + ह् + ईं
गोंद = ग् + ओं + द् + अ
भौंकना = भ् + औं + क् + अ + न् + आ
पोंगल = प् + औं + ग् + अ + ल् + अ
जोंक = ज् + औं + क् + अ
शिरोरेखा के ऊपर मात्रा न होने पर इसे चंद्रबिंदु के रूप में ही लिखा जाता है; जैसे-आँगन, आँख, कुँआरा, चूंट आदि।
यह भी जानें-
अर्धचंद्राकार और अनुनासिक में अंतर-
हिंदी भाषा में अंग्रेज़ी के बहुत-से शब्द प्रयोग होते हैं। इनको बोलते समय इनकी ध्वनि ‘आ’ और ‘ओ’ के बीच की निकलती है। इसे दर्शाने के लिए अर्धचंद्राकार लगाया जाता है; जैसे-डॉक्टर, ऑफिस, कॉलेज आदि। इन शब्दों की ध्वनियाँ क्रमशः ‘डा और डो’, ‘आ और ओ’, ‘का और को’ के मध्य की हैं। इनके उच्चारण के समय मुँह आधा खुला रहता है। आगत भी कहा जाता है। ध्यान रहे कि अर्धचंद्राकार का प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के लिए होता है जबकि अनुनासिक हिंदी की ध्वनि है।

उदाहरण

पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित शब्दों में अनुस्वार/अनुनासिक का प्रयोग


दुख का अधिकार

एवरेस्ट-मेरी शिखर यात्रा

तुम कब जाओगे, अतिथि

वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन्

कीचड़ का काव्य

धर्म की आड़

शुक्रतारे के समान

अभ्यास प्रश्न
प्रश्नः 1.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करते हुए शब्दों का मानक रूप लिखिए –
नालँदा, अँतर, संक्षिप्त, अंबर, चंद्रमा, संघर्ष, निताँत, भाँति, यन्त्र, सँस्कार, अँक, सम्बन्ध, गङ्गा, दीनबन्धु, अन्दर, मन्त्रालय,
खण्डित, छन्द, हिन्दुस्तान, अँगली, तँगी, तन्त्र, तम्बाकू, पँखुड़ी, कम्पन, दंगल, पँकज, दैत्य, बन्डल, धन्धा, पन्चायत, बँजारा।
उत्तर:
नालंदा, अंतर, संक्षिप्त, अंबर, चंद्रमा, संघर्ष, नितांत, भ्रांति, यंत्र, संस्कार, अंक, संबंध, गंगा, दीनबंधु, अंदर, मंत्रालय, खंडित,
छंद, हिंदुस्तान, जंगली, तंगी, तंत्र, तंबाकू, पंखुड़ी, कंपन, दंगल, पंकज, दंत्य, बंडल, धंधा, पंचायत, बंजारा।
प्रश्नः 2.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग करके शब्दों को पुनः लिखिए-
बंटवारा, संकरा, आंख, हंसमुख, अंगड़ाई, आंचल, सांस, कहां, ऊंट, आंवला, ऊंघना, आंधी, कांटा, गांव, चांदनी, आंसू, ऊंचाई, छंटनी, जांच, टांग, डांट, पहुंचना।
उत्तर:
बँटवारा, सँकरा, आँख, हँसमुख, अंगड़ाई, आँचल, साँस, कहाँ, ऊँट, आँवला, ऊँघना, आँधी, काँटा, गाँव, चाँदनी, आँसू, ऊँचाई, छंटनी, जाँच, टाँग, डाँट, पहुँचना।
प्रश्नः 3.
निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए जिनमें अनुस्वार का प्रयोग होता है-
सगति दाव
पडित महगाई
पजाब, पाव
सास सभावना
आच सुदर
पाचवा निमत्रण
सूघना ससार
सभव धुआ
सावला आनद
उत्तर:
संगति
पंडित
पंजाब
संभावना
सुंदर
निमंत्रण
संसार
संभव
आनंद
संत
प्रश्नः 4.
उचित स्थान पर लगे अनुस्वार वाले शब्द छाँटिए
व्यंजन, कंचन, मंदिर
सयोगं हसं संगम
परतुं प्रंबध व्यंजन
प्रतिबध तुंग मडंली
गांव नोंक नंदन
चंपक कबंल गदंगी
सन्यासी अंधकार आंतक
गोंद अंत्यत आनंद
उत्तर:
कंचन
संगम
व्यंजन
तुंग
नदन
चंपक
अंधकार
आनंद
प्रश्नः 5.
उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोगकर पुनः लिखिए
यहा
कुआ
भाषाए
काच
साप
हसी
पाच
जाएगे
उत्तर:
यहाँ
कुआँ
भाषाएँ
काँच
साँप
हँसी
पाँच
जाएँगे
प्रश्नः 6.
उचित स्थान पर लगे अनुनासिक वाले शब्द छाँटिए
काँखा आँगन नँदन
मक प्रसँग अँधेरा
चूंघट व्यँजन हँगामा
अभिनंदन छंटनी उमँग
पँडित सुंदर सूंघना
दाँत सायँ जंजीर
चाँदनी आँख खुंखार
उत्तर:
आँगन
अँधेरा
घूघट
छंटनी
सूंघनी
दाँत
खूखार
विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न