Hindi, asked by bradley22, 3 months ago

कसौतेली माँ का सुरेशा के साथ व्यखचार दिन-रात सेवाक
सुरेशा का सौतेली माँ के प्रति व्यवहार
'बडे-बुजुर्ग ही बच्चों के आदर्श इस विषय पर अपने
शेरपक्तियो मेलेनिश
झे बुजुर्ग की २७ वरी माह चाहिम, वेदने मसी
करने की उम्मीद रखते और घने कसे मुसीबत के जेक
छ चाची और खुसीका सेको म विचारसौतेली मां का सुरेश के साथ व्यवहार ​

Answers

Answered by vishnusah94694
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Explanation:

कसौतेली माँ का सुरेशा के साथ व्यखचार दिन-रात सेवाक

सुरेशा का सौतेली माँ के प्रति व्यवहार

'बडे-बुजुर्ग ही बच्चों के आदर्श इस विषय पर अपने

शेरपक्तियो मेलेनिश

झे बुजुर्ग की २७ वरी माह चाहिम, वेदने मसी

करने की उम्मीद रखते और घने कसे मुसीबत के जेक

छ चाची और खुसीका सेको म विचारसौतेली मां का सुरेश के साथ व्यवहार

Answered by ferozpurwale
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Answer:

आदर करते है वो आदर्श बनते हैं। माता-पिता, दादा-दादी के अलावा अनजान व्यक्ति का भी हमें आदर करना है। आदर दो शब्दों से मिल कर बना है। आ और दर यानी आपके विचारों और शिक्षाओं का हमारी बुद्धि व दिल के दर पर स्वागत है। इसलिए जहां से भी शिक्षा मिले उसे जरूर ग्रहण करना चाहिए।

ये बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था की टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित शाखा में आयोजित बाल व्यक्तित्व विकास शिविर के पहले दिन केंद्र की संचालिका बीके स्वाति ने कही। उन्होंने कहा आचरण से ही व्यक्ति अच्छा या बुरा कहलाता है। बड़ों का सम्मान, काम का और समय का सम्मान, शिष्ट भाषा का प्रयोग, आज्ञा का पालन अच्छे आचरण कहलाते हैं। सुबह उठकर माता-पिता व बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने से हमारे जीवन में उन्नति होती है क्योंकि उनकी पाजीटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है। इससे हमारा आध्यात्मिक और मानसिक विकास होता है। चरण छूने से विनम्रता आती

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