कस्तूरी कुंडलि बसै’ – इस पंक्ति में कुंडलि का क्या अर्थ है?
(i) मृग
(ii) नाभि
(iii) आँख
(iv) पाँव
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the answer is 2 nd option नाभि ok
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कस्तूरी कुंडलि बसै’ – इस पंक्ति में कुंडलि का अर्थ है नाभि
Explanation:
प्रस्तुत दोहा की पंक्ति निम्नलिखित से ली गई हैं।
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन मांहि।
ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखै नांहि॥
स्पष्टीकरण –
कस्तूरी मृग की नाभि में ही है, पर मृग नहीं जानता और भ्रमित होकर सारे वन में उसे ढूँढ़ता फिरता है। इसी प्रकार घट-घट में राम समाया हुआ है, पर मानव उसे भ्रम के कारण देख नहीं पाता।
इसलिए
विकल्प (ii) नाभि सही उत्तर हैं।
Project code #SPJ2
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