CBSE BOARD X, asked by as3807779, 9 months ago

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि।
ऐसैं घटि घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहिं।।
dohe ka arth batao​

Answers

Answered by yashsahay0
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Answer:

kastoori hiran ke nabhi me rehta h lekin wah poore van me dhoondta hai usi tarah kan kan me raam baste hai lekin hm unhe sab jagah dhoondte hai.

Answered by DHLcool
14

कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि।

ऐसे घटी घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥

कबीर की साखी भावार्थ : जिस प्रकार हिरण की नाभि में कस्तूरी रहती है, परन्तु हिरण इस बात से अनजान उसकी खुशबू के कारण उसे पूरे जंगल में इधर-उधर ढूंढ़ता रहता है। ठीक इसी प्रकार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए हम उन्हें मंदिर-मस्जिद, पूजा-पाठ में ढूंढ़ते हैं। जबकि ईश्वर तो स्वयं कण-कण में बसे हुए हैं, उन्हें कहीं ढूंढ़ने की ज़रूरत नहीं। बस ज़रूरत है, तो खुद को पहचानने की।

कस्तूरी :- कस्तूरी एक तरह का पदार्थ होता है, जो नर-हिरण की नाभि में पाया जाता है। इसमें एक प्रकार की विशेष खुशबू होती है। इसे इंग्लिश में Deer musk बोलते हैं। इसका इस्तेमाल परफ्यूम तथा मेडिसिन (दवाइयाँ) बनाने में होता है। यह बहुत ही महंगा होता है।

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