Hindi, asked by rsurajrl, 9 months ago

कस्तूरी कुंडली बसे मृग ढूंढे बन माहि ऐसे घटि घटि राम है दुनिया देखे ना ही प्रस्तुत पंक्ति का का भाव सौंदर्य स्पष्ट करें​

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Answered by nitinsingh34753
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Answer:

उपर्युक्त दोहे का व्याख्या है कि जिस प्रकार हिरण के नाभि में कस्तूरी रहता है और वह उस जब सुनता है तो उसेे ढूंढने के लिए इधर-उधर जंगल में भागते हुए पागल हो जाता है उसी प्रकार मनुष्य भी नहीं समझ पाता है कि ईश्वर उसके हृदय में वास करता है और वह इधर-उधर मंदिरो,ं मस्जिदों ,गुरुद्वारों चर्चाओं में इधर-उधर भटकता रहता है।

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